ब्रह्माण्ड (The Universe)
पृथ्वी को घेरने वाली अपार आकाश तथा उसमे उपस्थित सभी खगोलीय पिंड ,(जैसे_ मंदाकिनी, तारे, ग्रह, उपग्रह आदि।) एवं सम्पूर्ण ऊर्जा को समग्र रूप से ब्रह्माण्ड कहते हैं। ब्रह्माण्ड से संबंधित अध्ययन को ब्रह्माण्ड विज्ञान (Cosmology) कहते हैं।
ब्रह्माण्ड इतना विशाल है, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। इसके आकार की विशालता, इसमें तारों की संख्या, अपार दूरी तथा द्रव्यमान का अनुमान लगाना कठिन है। फिर भी, बड़े परिणाम की संख्याओं के सहारे इनका अनुमान लगाने की कोशिश की जाती है।
खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्माण्ड में सैकड़ों अरब (10¹¹) मंदाकिनी हैं तथा प्रत्येक मंदाकिनी में लगभग सौ अरब तारे है। इस प्रकार तारों की कुल संख्या
10¹¹ × 10¹¹ = 10²² कोटि की होगी।
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति (Birth of Universe)
ब्रह्माण्ड के प्रारंभ तथा इसके भविष्य के प्रश्न को लेकर अनेक सिद्धांत व्यक्त किए गए हैं। उन सभी सिद्धांतों में बिग बैंग सिद्धांत को सर्वाधिक मान्यता प्राप्त हुई है। यह सिद्धांत उस समय प्रतिपादित किया गया जब खगोल वैज्ञानिकों ने विकसित टेलीस्कोप तथा अन्य वैज्ञानिक साधनों द्वारा प्रेक्षणों के आधार पर यह बताया गया कि हमारा ब्रह्माण्ड लगातार फैलता जा रहा है। बिग बैंग सिद्धांत का प्रतिपादन निम्नांकित तीन अन्वेषणों पर आधारित है।
ब्रह्माण्ड का लगातार प्रसार।
ब्रह्मांड विद्युत चुम्बकीय विकिरण से भरा है।
ब्रह्माण्ड का अधिकाधिक द्रव्यमान रहस्यमय ढंग से हमारी दृष्टि से परे है।
बिग बैंग सिद्धांत
इस सिद्धांत को बेल्जियम के खगोलज्ञ एवं पादरी जार्ज लेमेतर ने दिया। इस सिद्धांत के अनुसार अरबों साल पहले यह ब्रह्माण्ड धनिभूत अवस्था में था और एक बिंदु के रूप में था। इस बिंदु को वैज्ञानिकों ने विलक्षणता का बिंदु कहा है। इस बिंदु में एक महाविस्फोट हुआ और इसका विस्तार होना सुरु हो गया।
इस महाविस्फोट ने अति सघन पिंड (बिंदु) को छिन्न_भिन्न कर दिया और इस पिंड के टूटे हुए अंश अर्थात फोटॉन तथा लेप्टोक्वार्क ग्लुआॅन अन्तरिक्ष में दूर_दूर तक छिटक गए और उसी से आकाशगंगाएं बनी जो अभी तक भाग रही हैं।
इस सिद्धांत के अनुसार बिग बैंग के तत्काल बाद एक सेकंड के कई गुना छोटे भाग के समयांतराल में ब्रह्माण्ड परमाणविक आकार से बढ़कर कॉस्मिक आकार में बदल गया।
इसके उपरांत ब्रह्माण्ड की गति थोड़ी धीमी हुई पर इसका ताप काफी समय तक अत्यधिक रहा। एक खराब वर्षों के उपरांत तारों तथा गलैक्सियों का पहली बार अवतरण हुआ। हमारा सौरमंडल भी 4.5 खरब वर्ष पूर्व बना। पृथ्वी पर जीवन की शुरुवात लगबग 0.37 खरब वर्ष पूर्व हुआ।
स्थायी अवस्था सिद्धांत(Steady state theory)
हर्मन बांडी, थाॅमस गोल्ड और फ्रेड हाॅयल नाम के ब्रिटिश वैज्ञानिक ने बिग बैंग सिद्धांत को चुनौती दी। उन्होंने 1948 ई॰ में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के एक नए सिद्धांत को प्रस्तुत किया जिसे स्थायी अवस्था सिद्धांत कहते हैं।
इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड का न तो महाविस्फोट के साथ आरंभ हुआ था और न ही कभी इसका अंत होगा अर्थात इस विशाल ब्रह्माण्ड का न आदि है और न अंत। इस सिद्धांत के अनुसार आकाशगंगाएं आपस में दूर तो होती जाती हैं परन्तु उनका आकाशीय घनत्व अपवर्तित रहता है यानी दूर होती आकशगंगाओं के बीच की खाली जगहों में नई आकाशगंगाएं बनती रहती हैं। इसलिए ब्रह्माण्ड का पदार्थ घनत्व एक दम स्थित बना रहता है।