Wednesday, April 22, 2020

मानव नेत्र | Defects of the human eyes physics in hindi

मानव नेत्र (भेाैतिकी) / Human eyes (physics)---



मानव नेत्र एक अत्यंत मूल्यवान एवं सुग्रही ज्ञानेंद्रीय है। यह हमें अद्भुत संसार तथा हमारे चारो ओर के रंगों को देखने योग्य बनता है। 
मानव नेत्र एक कैमरे के भांति है। नेत्र के पिछले भाग में स्थित रेटीना पर वास्तविक, उल्टा और छोटा प्रतिबिंब बनता है।

समंजन क्षमता (Accommodation capacity)

नेत्र लेंस द्वारा अपनी फोकस दूरी को आवश्यतानुसार परिवर्तित करने की क्षमता को समंजन क्षमता कहते हैं।

दृष्टि विस्तार (Vision extension)


नेत्र से अधिकतम जिस दूरी पर रखी वस्तु को हम स्पष्ट देख सकते हैं उस हम उस नेत्र का दूर बिंदु कहते हैं। नेत्र के निकट जिस न्यूनतम दूरी पर स्थित वस्तु को स्पष्ट देख सकते हैं हम उसे उस नेत्र का निकट बिंदु कहते हैं।

निकट बिंदु से दूर बिंदु तक की दूरी को नेत्र का दृष्टि विस्तार कहते हैं। सामान्य नेत्र के लिए यह लगभग 25 cm होता है। 

दृष्टि दोष चार प्रकार के होते हैं---

निकट दृष्टि दोष अथवा मायोपिया
दूर/दीर्घ दृष्टि दोष अथवा हाइपर मेट्रोपिया
जरा दृष्टि दोष
अबिंदुक्ता का दोष

1. निकट दृष्टि दोष (Myopia)

निकट दृष्टि दोष नेत्र का वह दृष्टि दोष है जिसके कारण मनुष्य को निकट की वस्तु तो स्पष्ट रूप से दिखाई देती है लेकिन दूर की वस्तु को स्पष्ट नहीं दिखाई देती है। इसे निकट दृष्टिदोष कहते हैं।


कारण----

अभिनेत्र लेंस वक्रता का अत्यधिक हो जाना।

निवारण----

निकट दृष्टि दोष में अनंत स्थित वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटीना से पहले ही बन जाता है। यदि आपतित समांतर किरणों को नेत्र लेंस पर पड़ने से पहले ही अपसरीत‌ कर दिया जाय तो वह रेटीना पर प्रतिबिंब बना सकती हैं। निकट दृष्टि दोष निवारण के लिए नेत्र के सामने एक अवतल लेंस का प्रयोग किया जाता है।
अतः
निकट दृष्टि दोष निवारण हेतु उपयुक्त अवतल लेंस की फोकस दूरी, दोष युक्त नेत्र के दूर बिंदु की दूरी के बराबर होनी चाहिए।

2. दूर/दीर्घ दृष्टि दोष (Hypermetropia)

दूर दृष्टि दोष नेत्र का वह दोष है जिसके कारण मनुष्य को दूर की वस्तुएं स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं परन्तु निकट की वस्तुएं स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती हैं। इसे दूर दृष्टि दोष कहते हैं।


कारण----

1. अभिनेत्री लेंस की फोकस दूरी का अत्यधिक हो जाना
2. नेत्र गोलक का छोटा हो जाना

निवारण----

दूर दृष्टि दोष में प्रतिबिंब रेटीना पर ना बनके रेटीना के बाद बनता है इसलिए इस दोष में उत्तल लेंस का प्रयोग होता है जिससे आपतित किरणों को अभिसरीत किया जा सकता है।

3. अबिंदुक्ता का दोष (defect of immobility)

यह एक अन्य सामान्य दृष्टि दोष है। यह दोष तब उत्पन्न होता है जब स्वच्छ पटल को आकृति गोलिय नहीं होती है। इस दोष से युक्त कोई व्यक्ति किसी तार की जाली को देखता है तो उसे उर्ध्वारधर या क्षैतिज तल में फोकस दूसरे की अपेक्षा स्पष्ट नहीं होगी।

निवारण----

अबिंदुक्ता दोष को संशोधित करने के लिए किसी सिलिंडरी अथवा बेलनाकार लेंस का प्रयोग होता है।

4. जरा दृष्टि दोष (Slight vision defect)


यह दृष्टि दोष वृद्धावस्था के व्यक्तियों में होता है। वृद्धावस्था होने के साथ - साथ मानव नेत्र की समंजन क्षमता घट जाती है।