Friday, April 24, 2020

What is black hole in hindi | black hole ka formation

ब्लैक होल


न्यूट्रॉन तारे का भविष्य उसके द्रव्यमान पर निर्भर करता है। अनुमान के अनुसार भारी न्यूट्रॉन तारों का संकुचन अनिश्चित काल तक हो सकता है। इसी क्रम में जब m द्रव्यमान का एक न्यूट्रॉन तारा संकुचित होकर त्रिज्या r=2Gm/c² प्राप्त कर ले तब वह ब्लैक होल बन जाता है।

सर्वप्रथम मिचेल ने ब्लैक होल के अस्तित्व की परिकल्पना की थी। ब्लैक होल अपने पृष्ठ से किसी भी चीज का यहा तक की प्रकाश का भी पलायन नहीं होने देता। कारण यह है कि ब्लैक होल में अत्यधिक आकर्षण बल होता है। 
ब्लैक होल में प्रकाश भी पलायन नहीं कर सकता इसलिए ब्लैक होल अदृश्य होते हैं जिन्हें हम देख नहीं सकते। ब्लैक होल की उपस्थिति को, आकाश में उसके पड़ोसी पिंडो पर उसके गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव द्वारा केवल महसूस किया का सकता है।


अधिनव तारे तथा न्यूट्रॉन तारे का निर्माण (Formation of Supernova star and Neutron Star)---


यदि किसी तारे का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से बहुत अधिक होती है तो वह रक्त दानव प्रावस्था में चला जाता है। इस प्रावस्था में हीलियम कोर के संकुचन (सिकुड़ना) से विमुक्त नाभिकीय ऊर्जा बाहरी आवरण में तेज चमक के साथ विस्फोट उत्पन्न कर देती है यह विस्फोट आकाश को कई दिनों तक प्रकाशित करता है।
ऐसा विस्फोटक तारा, अधिनव तारा कहलाता है। इस विस्फोट के बाद भी इसके कोर का संकुचन होते रहता है और वह न्यूट्रॉन तारा बन जाता है। हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखला में न्यूट्रॉन तारों की संख्या का अनुमान लगभग 10⁸ लगाया गया है, जिनमे से लगभग एक हजार ऐसे तारों को देखा गया है जिनका घनत्व (न्यूट्रॉन तारे का घनत्व) नाभिकीय घनत्व के कोटि का 10¹⁷ kg/m³ होता है।
न्यूट्रॉन तारे का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग दो गुना होता तथा त्रिज्या लगभग 10 km होती है। यह अदीप्त होता है इसे सीधे तौर पर नहीं देखा जा सकता।