Saturday, May 16, 2020

आकाशीय बिजली क्यों गिरती है |

आकाशीय बिजली


क्या आपने कभी सोचा है कि आकाशीय बिजली क्यों गिरती है और गिरती है तो किस वजह से गिरती है। बिजली गिरती है तो इतनी तेज आवाज क्यों और कैसे आती है। तो चलिए हम सुरु करते हैं

जब बिजली कौधती है तो क्षण भर में ही आस-पास की हवा का ताप लगभग 28,000°C तक गर्म हो उठता है। यह ताप सूर्य की सतह के ताप (6,000°C) से लगभग पाँच गुना अधिक होता है। 
इसी प्रकार बादलों में मंडराते बर्फ के कणों और ओलों में जब घर्षण होता उत्पन्न होता है तो उनमें विद्युत आवेश उत्पन्न होता है।
बादलों की ऊपरी सतह में धन आवेश प्रवाहित होता रहता है और उसके नीचे की सतह पर ऋण आवेश प्रवाहित होता रहता है। 
इसका प्रतिफल यह होता है कि बादलों के नीचे धरती की सतह पर उच्च शक्ति का धन आवेश उत्पन्न हो जाता है। यह आवेश बादलों की निचली सतह के ऋण आवेश को अपनी ओर आकर्षित करता है।
इस प्रक्रिया में बादलों के निचले हिस्से में कोई 10 करोड़ वोल्ट की शक्ति पैदा हो जाती है जो अन्तत: विद्युत विसर्जन की स्थिति उत्पन्न कर देती है।

जब यह घटना अपने चरम पर पहुँचती है तो तड़ित (बिजली)में निहित ऊर्जा नीचे की ओर पतली पतली फुहारों के रूपमें झरने लगती है। विभिन्न चरणों से बहने वाली प्रकाश की यह धारा हमारी आंखों को चौंध देती है। 
इसमें निहित ऊर्जा से आस पास की हवा गर्म हो उठती है और तेजी से फैलती है। हवा के इसी विक्षेप के कारण बादलों में गर्जन के साथ तड़ित की आसमान में दिव्यज्योति भी दिखायी देती है।