Tuesday, August 4, 2020

मात्रक,मापन तथा मूल राशियां | Unit, measurement and basic quantities in hindi

भौतिक राशियां (Physical quantities)


सभी राशियां जिनका संबंध किसी भौतिक परिघटनाओं से हो और एक संख्या द्वारा व्यक्ति की जा सके तथा प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से मापी जा सके भौतिक राशियां कहलाती हैं।

उदाहरण-

लंबाई, द्रव्यमान, ताप, चल, बल ,समय इत्यादि

भौतिक राशियां दो प्रकार की होती है

1. मूल राशियां

वे भौतिक राशियां जो किसी अन्य भौतिक राशियों से मिलकर न बनी हो, मूल राशियां कहलाती है।
1.लंबाई
2.द्रव्यमान
3.समय 
4.ताप
5.विद्युत् धारा
6.ज्योति तीव्रता
7.पदार्थ कि मात्रा

मूल मात्रक (basic units)

मूल राशियों के मात्रक मूल मात्रक (basic units) कहलाते हैं
मूल राशियां_______मूल मात्रक

लंबाई___________मीटर
द्रव्यमान__________किग्रा
समय____________सेकंड
ताप_____________केल्विन
विद्युत् धारा________ एम्पियर
ज्योति तीव्रता________केण्डिला
पदार्थ कि मात्रा________मोल 

व्युत्पन्न राशियां


वे राशियां जो मूल राशियों से मिलकर बनी हो व्युत्पन्न राशियां कहलाती हैं।

उदाहरण-

वेग=विस्थापन/समय
मात्रक=मीटर/सेकंड
आयतन=लंबाई×चौड़ाई×ऊंचाई
मात्रक=मीटर×मीटर×मीटर=मीटर³
घनत्व=द्रव्यमान/आयतन
मात्रक=किलोग्राम/मीटर³
बल=द्रव्यमान×त्वरण
मात्रक=किग्रा×वेग में परिवर्तन/समय
=किग्रा×मीटर/सेकंड²
=न्यूटन

लंबाई का मापन

अत्यंत छोटी दूरियों के मापन हेतु प्रकशिक सूक्ष्मदर्शी का उपयोग किया जाता हैं परन्तु इसकी भी कुछ सीमाएं हैं। क्योंकि प्राकशिक सूक्ष्मदर्शी में 4000A° से 7800A° तरंगदैर्ध्य परास वाले दृश्य प्रकाश का उपयोग किया जाता है। 

इसलिए प्राकाशिक सूक्ष्मदर्शी केवल 10⁻⁶ मीटर की कोटि के आकार वाले कणों को ही मापा का सकता है। इससे कम आकार वाले कणों को मापने के लिए इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में प्रकाश पुंज के स्थान पर इलेक्ट्रॉन पुंज का उपयोग किया जाता है। इस स्थिति में, इससे 1A° के कोटि के कणों की माप की जा सकतीं है।

अवोगाद्रो के कल्पना उपयोग से परमाणु की त्रिज्या का निर्धारण

इनके अनुसार,
पदार्थ के 1 ग्राम परमाणु में 6.023×10²³ परमाणु होते है।
जो पदार्थ का लगभग 2/3 आयतन घेरते हैं।
माना पदार्थ का द्रव्यमान m, पदार्थ के परमाणु का भार M, परमाणु द्वारा घेरा गया आयतन V, परमाणु की त्रिज्या r तथा अवोगाद्रो संख्या N है।
अतः ग्राम पदार्थ में परमाणुओं की संख्या=N/M
अतः m ग्राम पदार्थ में परमाणुओं की संख्या=m(N/M)
चूंकि 1 परमाणु द्वारा घेरा गया आयतन
=4/3.πr³
अतः पदार्थ के सभी परमाणुओं द्वारा घेरा गया आयतन
m(N/M).4/3πr³
चूंकि परमाणु पदार्थ का 2/3 आयतन घेरते हैं
इसलिए
m(N/M).4/3πr³=2/3V
m(N/M).2πr³=V
m(N)2πr³=MV
r³=MV/2mN
सूत्र की सहायता से परमाणु की त्रिज्या मापी जा सकती है जिसका मान लगभग 10⁻¹⁰ मीटर की कोटि का होता है।

आण्विक व्यास का निर्धारण


इस विधि में जल के औलिक अम्ल की सबसे पतली फिल्म बनाई जाती है फिल्म की मोटाई आण्विक व्यास के बराबर मानी जाती है। इसके लिए 20 समी³ अल्कोहल में 1 समी³ ओलिक अम्ल घोलते हैं। पुनः इस घोल का 1 समी³ आयतन लेकर 20 समी³ अल्कोहल मिलते हैं।

अतः घोल का सांद्रण,
C=1/20×20
C=1/400 cm³
अब इस घोल की कुछ बूंदे लेकर एक सपाट व चौड़ी ट्रे में भरे जल के उपर डाल देते है।
माना इस घोल की न बूंदे जल की पृष्ठ पर डाली जाती है।
पुनः औलिल अम्ल की फिल्म को जल। के पृष्ठ प्र सावधानी से फैला देते हैं। समय के साथ साथ अल्कोहल वाष्पीकृत हो जाता है।
जबकि औलिक़ अम्ल की फिल्म ही बची रह जाती है। इस फिल्म का क्षेत्रफल ट्रेसिंग पेपर ग्राफ पेपर की सहायता से माप लेते हैं।
माना प्रत्येक बुंक का आयतन V समी³ है।
तब घोल में n बूंदों का आयतन,
nV cm³
अतः घोल में औलीक अम्ल कि मात्रा,
nV/400 cm³_______(1)
यदि फिल्म की मोटाई t तथा फिल्म का क्षेत्रफल A हो तो, ओलिक अम्ल अम्ल का आयतन,
A.t_______(2)
अतः समीकरण (1) व (2) से
At=nV/400
t=nV/400A
यदि फिल्म की मोटाई केवल एक आण्विक व्यास की है, तो फिल्म की मोटाई उपरोक्त सूत्र से ज्ञात करके आण्विक व्यास का निर्धारण किया जा सकता है।

बड़ी दूरियों की माप

बड़ी दूरियां जैसे किसी तारे की पृथ्वी से दूरी, चंद्रमा से पृथ्वी से दूरी आदि को मापने लिए कोणीय विस्थापन की सहायता ली जाती है। अर्थात इं दूरियों को मापने के लिए कोणीय मापे सहायक होती है


दूरदर्शी की सहायता से दो तरो S₁ व S₂ के उन्नयन कोण θ₁ व θ₂ ज्ञात कर लेते हैं।
अतः S₁ व S₂ के बीच कोणीय दूरी
∆θ=θ₂-θ1₁

आकाशीय पिंडों का आकार (चंद्रमा का व्यास)


माना पृथ्वीराज पर P प्रेक्षण बिंदु है। यदि चंद्रमा को दूरदर्शी द्वारा देखा जाय तो चंद्रमा का प्रतिबिंब एक वृत्तीय चक्ती की भांति बनता है। यदि चंद्रमा के व्यास AB द्वारा P पर अंतरित कोण θ हो तो,
θ=AB/s
जहां s पृथ्वी से चंद्रमा की मध्य दूरी है।
अतः
AB=θ.s
D=θ.s

प्रतिध्वनि विधि या परावर्तक विधि


दूर स्थित पहाड़ी से सीधे परावर्तक के पश्चात आने वाले ध्वनि को प्रतिध्वनि कहते हैं। 
इस विधि से पहाड़ी की दूरी ज्ञात की जाती है। इसके लिए ध्वनि को पहाड़ी की ओर छोड़ते हैं। तथा ध्वनि छोड़ने तथा प्रतिध्वनि सुनने के बीच के छड़ों का अंतराल ज्ञात कर लेते हैं

यदि यह समय t हो तथा ध्वनि की चाल v हो तो पहाड़ी की दूरी s के लिए
v=2s/t
2s=vt
s=vt/2

पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी ज्ञात करने की लेजर विधि

लेजर का अर्थ है: विकिरण के उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा प्रकाश का प्रवर्धन।

यह विधि प्रकाश के परावर्तन पर आधारित है। यह अत्यधिक तीव्रता वाला एकदैशिक तथा एकवर्णी प्रकाश है। पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी ज्ञात करने के लिए पुंज को प्रेक्षण बिंदु से चंद्रमा की ओर प्रेरित किया जाता है। 
चंद्रमा से परावर्तित होकर यह पृथ्वी पर वापस लौट आता है। लेजर पुंज के पृथ्वी से चंद्रमा तक जाने तथा आने का समय नोट कर लिया जाता है।

यदि पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी s तथा लेजर पुंज से चंद्रमा तक जाने तथा आने में लगा समय t तथा प्रकाश का वेग v हो तो
s+s=2s
2s=ct
s=ct/2

समुद्र की गहराई नापने की लेजर विधि


यदि प्रेक्षण बिंदु से समुद्र की गहराई d तथा तथा लेजर पुंज को समुद्र की गहराई तक जाने तथा आने में लगा समय t हो तो 
d=ct/2
इस विधि द्वारा सुरंग की गहराई भी ज्ञात की जाती है।


द्रव्यमान का मापन
जब किसी वस्तु पर बाह्य बल लगाया जाता है तो यह बल वस्तु की अवस्था में परिवर्तन करने का प्रयास करता है। 
वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह अवस्था परिवर्तन का विरोध करती है, जड़त्व कहलाता है। भौतिक में वस्तु का द्रव्यमान ही जड़त्व की माप है। यदि वस्तु का द्रव्यमान अधिक है तो जड़त्व भी अधिक होगा।

यदि m द्रव्यमान की वस्तु प्र कार्यरत बल F, वस्तु में त्वरण a उत्पन्न करे, तो बल
F=m.a
इस प्रकार ज्ञात किए गए वस्तु के द्रव्यमान ही उन वस्तुओं की जड़त्व की माप है, अतः इसे जड़त्विय द्रव्यमान कहते हैं

जड़त्विय द्रव्यमान

किसी वस्तु का जड़त्विय द्रव्यमान, जड़त्विय तुला से ज्ञात किया जा सकता है। इस तुला में एक लकड़ी का गुटका होता है तथा एक पलरा जो दो सपाट धातु की पत्तियों से जुड़े होते हैं तथा उनका सपाट सिरा उर्ध्वाधर रहे।

पृथ्वी की लंबाई (तुला के बाहर) पदार्थ के यंग प्रत्यास्थ गुणांक पत्ती व रखी वस्तु के कुल द्रव्यमान पर निर्भर करता है।

गुरुत्वीय द्रव्यमान

हम जानते हैं कि किसी वस्तु का भार उसके द्रव्यमान के अनुक्रमानूपाती होता है

माना भार
w∝m
यदि एक ही स्थान पर दो वस्तुओं के भार क्रमशः w₁ व w₂ हो तथा उनके द्रव्यमान क्रमशः m₁ व m₂ हो तो,
w₁/w₂=m₁/m₂

Note-
गुरुत्वीय द्रव्यमान स्प्रिंग तुला से ज्ञात किया जाता है। यदि वस्तु का द्रव्यमान m तथा स्प्रिंग में खिंचाव x हो तो
m∝x
यदि स्प्रिंग तुला से लटकी दो वस्तुओं के द्रव्यमान क्रमशः m₁ व m₂ हो तथा खिंचाव x₁ व x₂ हो तो,
m₁/m₂=x₁/x₂
(द्रव्यमान तथा भार भिन्न भिन्न भौतिक राशियां हैं। द्रव्यमान एक अदिश राशि है जबकि भार एक सदीस राशि है।)

समय का मापन 

समय की कुछ विधियां निम्नलिखित हैं-

1.सौर घड़ी

यह सूर्य के पारित: पृथ्वी के नियमित परिक्रमण पर आधारित है। पृथ्वी के अपनी अक्ष के पारित: घूर्णन काल दिन से दिन तथा वर्ष के वर्ष थोड़ा सा बदल जाता है। इसलिए माध्य सौर सेकंड की यथार्थता संदिग्ध है।

2.परमाणु घड़ी

परमाणु घड़ी परमाणु में होने वाले आवर्त कम्पन्नों पर आधारित है। पहली सीजियम धड़ी 1964 में बनाई गई। इनकी यथार्थता 10¹¹ सेकंड में 1 सेकंड है।
अर्थात एक सेकंड वह समय अंतराल है जिसमें सीजियम परमाणु 10¹¹ बार कंपन्न करता है।

3.मूल कणों का क्षय

अस्थाई मूल कणों का अर्ध आयु काल 10⁻¹⁶ sec से 10⁻²⁴ sec तक होता है।
क्षय प्रक्रमो के लिए किए गए प्रक्षणो अत्यंत अल्प समय अंतराल की माप की जा सकती है।

4.रेडियोएक्टिव डेटिंग

इसका प्रयोग 10⁻¹⁷ sec की कोटि के दीर्घ समय अंतराल को मापने में प्रयुक्त किया जाता है। जीवाश्म, चट्टानों, पृथ्वी आदि की आयु इसी विधि से ज्ञात की जाती है। रेडियोएक्टिव डेटिंग में C-14 का प्रयोग किया जाता है।

5.क्वार्ट्ज क्रिस्टल घड़ी

यह दाब विद्युत् प्रभाव की घटना प्रदर्शित करता। इन घड़ीयों की यथार्थता 10⁹ sec में 1 sec होता है।