इन्द्रधनुष का बनना
इन्द्रधनुष का बनना एक प्राकृतिक घटना है,
जब सूर्य का प्रकाश वर्षा की बूंद में प्रवेश करता है तो वह अपने मार्ग से अपवर्तित हो जाता है, जिसके कारण श्वेत प्रकाश की तरंगदैघ्र्य अलग - अलग हो जाते हैं।
जिसका तरंगदैघ्र्य उच्च होता है (लाल) वह सबसे कम मुड़ती है जबकि जिसका तरंगदैघ्र्य कम होता है (बैगनी) वह सबसे अधिक मुड़ती है।
इसके बाद ये संघटक किरणें बूंद के अंदर पृष्ठ से टकराती हैं और यदि बूंद पृष्ठ पर अभिलंब और अपवर्तित किरण के बीच का कोण क्रान्तिक कोण (48°) से अधिक बनता है तो वह प्रकाश बूंद के अंदर ही परावर्तित हो जाती है।
इस घटना में यह पाया जाता है की परावर्तित प्रकाश, बूंद से बाहर निकलते समय पुनः अपवर्तित हो जाता है।
जिसके कारण सूर्य से आने वाले प्रकाश की किरण के सापेक्ष बैगनी प्रकाश 40° के कोण पर तथा लाल प्रकाश 42° के कोण पर निर्गत होती है। अन्य वर्णों के तरंगदैघ्र्य के लिए कोणों के मान लाल तथा बैगनी तरंगदैघ्र्य के बीच में होते हैं।